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निगम मुख्यालय में काम करवाना नहीं आसान, लिफ्ट न होने से दिव्यांग व बुजुर्ग हो रहे परेशान

लुधियाना (प्रजातंत्र शक्ति,जतिंद्र टंडन): नगर निगम मुख्यालय जोन ए की इमारत बेसमेंट समेत पांच मंजिला है। यहां रोजाना सात से आठ हजार लोगों आते हैं, जिनमें दिव्यांग, बुजुर्ग और बीमार लोग भी शामिल हैं। नगर निगम में काम करवाने आने वालों को कमिश्नर, मेयर व अन्य दफ्तरों तक पहुंचना माउंट एवरेस्ट फतह करने जैसा है। निगम मुख्यालय की इमारत में दिव्यांगों, बुजुर्गों व बीमारों के लिए सिर्फ एक रैंप बना हुुआ है, वह भी ग्राउंड फ्लोर तक, जबकि इससे ऊपर की मंजिलों व बेसमेंट में जाने के लिए सीढिय़ों का ही सहारा लेना होता है।
पहली मंजिल के लिए जो रैंप बना है उसके गेट पर परमानेंट ताला टंगा होता है। यही नहीं इस रैंप पर अगर कोई दिव्यांग व्हील चेयर से जाना भी चाहे तो वह चढ़ नहीं सकता है। दरअसल निगम जोन ए कार्यालय में कोई व्हील चेयर भी नहीं है। इस इमारत में 1991 से नगर निगम का दफ्तर चल रहा है।
जोन ए में नगर निगम का मुख्यालय है और ज्यादातर लोग नगर निगम से संबंधित काम करवाने के लिए जोन ए में ही आते हैं। आम लोगों के लिए सेवा केंद्र बेसमेंट में बना है, जहां जाने के लिए भी रैंप की व्यवस्था नहीं है। मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर, जोनल कमिश्नर का दफ्तर पहली मंजिल पर है। वहां तक पहुंचने के लिए ढाई दर्जन से ज्यादा सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं। कमिश्नर का दफ्तर सेकेंड फ्लोर पर है और वहां तक पहुंचने के लिए 50 के करीब सीढिय़ां चढ़नी होती हैं। दो एडिशनल कमिश्नरों के दफ्तर भी इसी मंजिल पर हैं। लोग अपनी समस्याएं लेकर इन्हीं अफसरों के पास पहुंचते हैं। लोगों की मानें तो दिव्यांगों ने तो अब जोन ए में आना ही बंद कर दिया है। सोमवार को कई बुजुर्ग आए जो कि सीढिय़ां नहीं चढ़ पा रहे थे, लेकिन मजबूरी में वह सीढिय़ां चढ़कर अपने काम करवाने के लिए दफ्तरों तक पहुंचे।

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